आस्मां ने अमावस में चाँद छिपाकर रखा है
आस्मां ने अमावस में चाँद छिपाकर रखा है आस्मां ने अमावस में चाँद छिपाकर रखा है रात ने भी पसंदीदा जेवर जुदाकर रखा है। जुगनूओं की बारात भी चुपचाप चल रही है रात ने गहन सन्नाटा जो सजाकर रखा है। रातरानी ने बगिया को महकाकर रखा है रात ने लेकिन द्वार अपना सटाकर रखा है। जलाकर रखा दीप भी किस आस में जगता रहे उजाले को अंधेरे ने खूब डराकर रखा है। बेशुमार यादों ने भी करवटें बदल बदलकर इंतिजार की कसक को महज जगाकर रखा है। आपके वादे भी गुमसुम हुए से बैठे हैं स्याह रात ने उनको बंदी Continue reading आस्मां ने अमावस में चाँद छिपाकर रखा है