मुझसे मेरी जिन्दगी खफा हो गई
मुझसे मेरी जिन्दगी खफा हो गई मौत को गले लगाकर फना हो गई। मैं नमपलकों से उसे देखता रहा सुलगती जिन्दगी कब धुँआ हो गई। चिड़िया जब हथेली पे आकर बैठी डूबती जिन्दगी भी खुशनूमा हो गई। हमारी तकदीर एक जैसी ही थी हम जुदा हुए तकदीर जुदा हो गई। उसकी दुआ का असर भी देख ले यार तुम्हारी हर बद्दुआ दुआ हो गई। एक आखरी साँस की तलाश जो थी जवानी भी रुख बदलकर जरा हो गई। … भूपेन्द्र कुमार दवे 00000