मुहब्बत करने वाले
*मुहब्बत करने वाले * खैर तुझसे मुहब्बत करने वाले तो हरदम निकले , पर तुझ पर मर मिटने वाले ही बहुत कम निकले || संभाला था सदा तेरे आब-ए-तल्ख़ को जिसने , अफ़सोस उसके हिस्से में सिर्फ गम ही गम निकले || सौपी थी कोरा कागज जिनको लिखने को तकदीर , ऐन वक्त पर वे सब बिन स्याही के कलम निकले || तेरे चाहने वालो की लम्बी थी कतार जगत में पर , सही मायने में तुझे चाहने वाले तो सिर्फ हम निकले ||