खुश्बू की तरह आती है दुआयें भी
खुश्बू की तरह आती है दुआयें भी खुशी की बहार लाती है हवायें भी। यह पहले भी सुना था देर नहीं है जमीं पर बिखरेंगी रब की दुआयें भी। मेरी आँखें ढूँढ रही उसी चाँद को जिसे छिपाये है सावन की घटायें भी। ‘भूख लगी है’ बच्चे आते ही कहेंगे थाल परोसे रखती हैं मातायें भी। कैद हो या जमाने की कालकोठरी सभी को सहन करनी होगी सतायें भी। बच्चों की हर खुशी में महक होती है महक नहीं रखती है बूढ़ी अदायें भी। … भूपेन्द्र कुमार दवे 00000