गीत बनाकर हर गम को मैं गा लूँगा
गीत बनाकर हर गम को मैं गा लूँगा तार-तार दिल में भी मैं स्वर सजा लूँगा। तू नफरत भी ना कर पावेगा मुझसे प्यार के हर बोल से तुझे रिझा लूँगा। राह पर इन बिखरे सारे पत्थरों को चूम चूमकर मैं अब खुदा बना लूँगा। आँसुओं से भिंगोकर हरेक काँटे को बाग में खिलते फूलों-सा बना लूँगा। मंदिर से बाहर तू क्यूँकर भटकेगा आ दिल में मेरे मैं अपना बना लूँगा। भूपेन्द्र कुमार दवे 00000